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इंडिया अगेंस्ट करप्शन!

राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी'
राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी'
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जब सुबह के चार बजेंगे,
काली निशा का चर्म होगा,
काफी लोग सो रहे होगे,
अँधेरे से सामंजस्य बिठा के या,
हताश हो कर.
और काफी लोग जाग भी रहे होगे,
शायद वो पूरी रात जगे होंगे.
अपने बच्चे को छाती से चिपकाये.
भूखे पेट नीद नहीं आती है ना.

कि तभी एक घर में अलार्म बजेगा.
जिन लोगो को सोने कि आदत पड़ गई है,
वो कसमसा के फिर से रजाई ओढ़ लेंगे.
बाकि लोग भगवान भास्कर के आने कि तैयारी करेंगे.

फिर १०-१० मिनट पर अलार्म बजने शुरू हो जायेंगे.
मोहल्ले के कई घरो से,
कुल ३०-४० प्रतिशत लोग उठ गए हैं अब तक.
करीब पांच बजे कई गाँव, कस्बे, और शहरो से,
अलार्म, घंटे-घड़ियालो, और अजानो कि आवाजे आने लगी.

पूरा वातावर्ण गुंजायमान हो उठा!
ये लो भगवन धीरे धीरे मुस्कुराते हुए चले आ रहे हैं,
लाल मुह लिए. अँधेरे पर बहुत गुस्सा है!
होना तो यही था, आज २१ दिसंबर था,
तो रात को लगा कि मै हमेशा राज करुँगी.

अँधेरा अपना जीर्ण शीर्ण वस्त्र संभाले,
घरो के कोने, ढके नाली नाबदान में में जा के,
फिर मौके की तलाश में छिप गया.

जो भूखे थे रात भर,
उनमे से कुछ मंदिर के बाहर जा के बैठ गए,
और कुछ गन्दी सड़के इत्यादि साफ़ करने लगे,
सामन ढोने लगे,
खाने को दोनों को ही मिलेगा!
बस कुछ लोगो को नहीं पता चल पायेगा कि,
रोटी कमाने के और क्या तरीके हैं.

अँधेरे का फायदा उठा कर कुछ चोर उच्चक्के,
मोहल्ले से सामान चुरा लिए,
काफी सारा ठाकुर साहब की हवेली में,
और दूसरे गाँव पहुचा चुके थे,
और थोडा बहुत अभी ठिकाने लगाना बाकी था.
पंडित जी ने देखा.
पर चूकी वो अभी अभी सरयू से नहा के आ रहे थे,
और मंदिर जाने को भी देर हो रही थी,
तो कुछ बोले नहीं,
चुपचाप निकल गए!

पर बुधया चौकीदार का छोटा बच्चा,
जिसकी पतंग कल नीम के पेड़ में अटक गई थी,
बिना मुह धोये लेने निकला.
उसको पता था कि,
जो स्कूटर ले के कुछ लोग जा रहे हैं,
वो बिल्डिंग में रहने वाले इंजिनियर साहब का है,
जिसे वो किसी को छूने नहीं दिए हैं कई सालो से.
पिछले साल भी,
जब उसकी बहन बीमार थी,
और डाक्टर के पास ले जाना था,
तब भी नहीं दी थी,
बुधया अपने कंधे पर बिठा के ले गया था.

देखा तो लगा चिल्लाने ‘अन्ना हजारे’ कि तरह.
चोर! चोर ! चोर!!

और मोहल्ले के जोशीले नौजवानों को बुला लिया,
और फिर जो सुताई हुयी है चोरो की-
पूछो मत!
जिसके हाथ में जो आया, उसी से ले दना दन!!

बहुत सारे लोग तो ये भी कहने लगे कि,
सारा सामान निकालेंगे,
ठाकुर साहब के घर कि तलाशी होगी.
बगल के गाँव से भी लायेंगे.
खैर छोड़ो ये सब बातें!!

इतना सब होने के बाद भी,
अभी भी जो लोग सो रहे हैं,
उन्हें नहीं मालूम की,
उनकी खटिया के सिराहने,
एक कुत्ता पेशाब कर के जा रहा है.

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