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प्रेम और महगाई

राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी'
राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी'
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कुछ हल्की फुल्की पंक्तियाँ पेश कर रहा हूँ ‘वेलेन टाइन डे’ के मौके पर:

प्रेम के दो युगल हंस,
बस लिए वादो के अंश,

नये प्यार की उमंग,
कर लिए दुनिया से जंग.

ना सुना किसी का सत्संग,
खड़े देख रहे माँ बाप दंग.

मिला दाल रोटी का दंश,
तब हुई मोह माया भंग.

आकर बने फिर घर अंग,
देख रहे हैं टी वी संग संग.

अब महगाई से नहीं रंज
परिवार धन्य! बस चादर तंग!

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