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कंपनी विश्लेषण: डीएलएफ (DLF) – इसका ऋण और इक्विटी अनुपात एक डरावना सत्य है. यह 1.15 है, जो कि किसी भी सुझाव या संदर्भ से ज्यादा है और 2008 से लगातार बढ़ रहा है. एक रिअलिटी कंपनी के रूप में, कई लोगों को लगता है कि ऋण, कम्पनी के मौजूदा संपत्ति के द्वारा कवर किया जा सकता है. मैं इस पर विश्वास नहीं करता हूँ. क्योन्कि उस संपत्ति पर पहला हक लोन देने वाले का होता है न कि इन्वेस्टर का. दूसरा डीएलएफ के घर के उत्पाद या दुकान हर एक के लिए नहीं है. यदि औद्योगिक विकास और कॉर्पोरेट नौकरियाँ प्रति वर्ष 15% से नहीं बढ़ी तो डीएलएफ किसे अपना घर बेचेगा! टायर ३ शहर में या फिर गाँव में रहने वाले लोगो को.
हम केवल आईपीओ के बाद कीमतो और कमाई वृद्धि पर विचार करेंगे. 2007 में जब निवेशक पागलों की तरह रिअलिटी शेयरो को खरीदने में जुटे थे, डीएलएफ की प्रति शेयर कमाई (PE) 2.65 थी, 2007 और 2008 के बीच लगातार इसकी कीमत प्रति शेयर 1000. जो की 350 + का PE है. अब कृपया कुछ वित्तीय सलाहकार मुझे बताओ कि कब भविष्य में डीएलएफ की कमाई इसके PE के साथ तुलनात्मक दृष्टि से सही होगी.
DLF पिछले कुछ महीनो से 2007 से अपने शुद्ध लाभ तिगुने हो चुके होने के बावजूद, यह 200 रुपए के आसपास उद्धृत कर रहा है. फिर भी PE अनुपात 25 + hai, जो की मैं बाजार की हालत और सिद्धांत के हिस्साब से उपरी स्तरो पर है. लेकिन आज कोई डीएलएफ खरीदने की सिफारिश नहीं कर रहा है. पर अगर किसी को कभी भी डीएलएफ में निवेश करना था तो वो वक्त अब है.
लेकिन मैं अभी भी लंबी अवधि के निवेशक के लिए रिअलिटी शेयर नहीं की सिफारिश नहीं करता हूँ. क्योंकि यह बहुत अधिक किसी क्षेत्र विशेष पर निर्भर है, कंपनी उस जगह के सामाजिक – आर्थिक हालत पर निर्भर होती है. दूसरा, हर किसी को भारत में भूमि सौदो की स्थिति के बारे में पता है. भूमि अधिग्रहण में काले धन की आवश्यकता पड़ती है. अब आम निवेशक नहीं जान पता कि अज्ञात राशि का भुगतान बैलेंस शीट के किस हिस्सा से किया जा रहा है.
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निवेश के मूल तत्व: Fundamentals of Investments
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