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जिंदगी है एक फासला

राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी'
राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी'
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जिंदगी है एक फासला मिटाते रहना, दोस्त बन जायेंगे हाथ बढ़ाते रहना 

हर सुबह मुस्काते मिल जायेंगे,
आप यो ही ख्वाबो  में आते रहना.

 हर-सूं तन्हाई, खुशियो में खलिश लगे, कभी कभी अपने गाँव भी जाते रहना. 

लोग पूछेंगे दुनिया को क्या दिया तुमने,
कुछ आम-अमरुद के पेड़ लगते रहना.

 गद्दो में, गलीचो में नीद न आये! माँ की लोरियां गुनगुनाते रहना.

 

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