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मेरे दिल में आके

राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी'
राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी'
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मेरे दिल में आके घर बनाते रहना,
तिनको से सही, पर इसको सजाते रहना.

शाम को थका हुआ सा जब घर आऊं,
तुम यो ही आंखो से पिलाते रहना.


जब भी लगे जिंदगी से हमने क्या पाया
तुम हमको अपनी बाँहो में संभाले रखना.


कोई वादे करे, या कसमे वफ़ा की खाए
यकीन करना, पर शर्त है, मुस्काते रहना.

काबा में न मिले वो, जब काशी में ना मिले
अपनी रोटी, किसी भूखे को खिलाते रहना.

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