Menu
blogid : 8050 postid : 12

नव वर्ष कि ये है अभिलाषा

राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी'
राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी'
  • 69 Posts
  • 377 Comments
हो सबकी पूरी आशा, नव वर्ष कि ये है अभिलाषा हर पेट में हो रोटी, हर तन पर हो धोती, चिंता-तृष्णा हो छोटी, हो जाये शांत पिपासा, नव वर्ष कि ये है अभिलाषा कुछ आम का पेड़ लगायें कुछ दीन-बाल को पढ़ायें हम अपना कर्त्तव्य करें, हक बने न मात्र दिलासा, नव वर्ष कि ये है अभिलाषा खादी भी उजली हो जाये, संसद का रुके तमाशा निर्धन को संपन्न करें, न कि बदले परिभाषा, नव वर्ष कि ये है अभिलाषा बाँट सके न भारत को - फिर जाति धर्म या भाषा, मनुज मनुज की तरह मिले छटे दिलों से कुहासा, नव वर्ष कि ये है अभिलाषा हो सबकी पूरी आशा, नव वर्ष कि ये है अभिलाषा.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply